गते शोको न कर्तव्यो भविष्यं नैव चिंतयेत्।
वर्तमानेन कालेन वर्तयंति विचक्षणाः॥
One should not regret the past, nor worry about the future. Wise men act by the present time.
गते शोको न कर्तव्यो भविष्यं नैव चिंतयेत्।
वर्तमानेन कालेन वर्तयंति विचक्षणाः॥
One should not regret the past, nor worry about the future. Wise men act by the present time.पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
यह श्लोक ब्रह्म के स्वभाव की और इंगित कर रहा है या गणित की ऐक मूलभूत अवधारणा (concept) - अनंत यानी infinite की परिभाषा बता रहा है ?
इस श्लोक का शाब्दिक अर्थ / अनुवाद करने की कोशिश करते हैं।
पूर्णमद: = पूर्णम अद: ~ यानी वह पूर्ण है
पूर्णमिदं = पूर्णम इदम ~ यानी यह पूर्ण है
पूर्णात्पूर्णमुदच्यते = पूर्णात् पूर्णम् उदच्यते ~ यानी पूर्ण से पूर्ण उत्पन्न होता है
पूर्णस्य पूर्णमादाय = पूर्णस्य पूर्णम् आदाय ~ यानी पूर्ण का पूर्ण ले कर
पूर्णमेवावशिष्यते = पूर्णम ऐव अविशिष्यते ~ यानी पूर्ण ही शेष रहता है ।
श्लोक का अर्थ हुआ
वह भी पूर्ण है, यह भी पूर्ण है । पूर्ण से ही पूर्ण उत्पन्न होता है । पूर्ण का पूर्ण ले कर भी पूर्ण ही शेष रहता है ।
यह गणित के अनंत यानी infinite से कैसे सम्बंधित हो सकता है ?
पूर्ण यानी पूरा क्या है ? १-२-३-४….की गिनती कहाँ जा के पूरी होती है ? -१०००००००००००००० पर ? या ९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९ पर ? नहीं, इसके बाद भी इसने ऐक जोड़ कर उसका अगला अंक बनाया जा सकता है । यानी ऐसा कोई भी अंक जिसमें कुछ जोड़ कर ऐक नया अंक मिल सकता है, वह अधूरा है पूरा नहीं । जब ये गिनती पूरी होती है तो उस पूर्ण कहा जा सकता है । इस पूर्ण के क्या गुण / characteristics होंगे ?
शाब्दिक अर्थ में देखे तो इस इस श्लोक में पूर्ण के गुण समझाए जा रहे है - answering FAQ कि यह ये पूर्ण आया कहाँ से ? पूर्ण तो सिर्फ़ और सिर्फ़ पूर्ण से ही आ सकता है । ये पूर्ण किसी साधारण अंक में ऐक जोड़ने से नहीं आ सकता ।
वह भी पूर्ण है और यह भी पूर्ण है । पूर्ण ऐक unique संख्या नहीं बल्कि ऐक अवधारणा / concept है ।
अगर पूर्ण में ऐक और पूर्ण जुड़ जाए तो भी ऐक पूर्ण ही मिलेगा - दो पूर्ण नहीं । पूर्ण में से उसका ऐक ऐसा अवयव यानी घटक (constituent) जो स्वयं पूर्ण हो, अगर निकल जाए, तब भी शेष पूर्ण ही रहेगा ।
This is so similar to the characteristics of mathematical term infinite. समसामयिक (contemporary) गणित के दृष्टिकोण से गिनती तो अनंत यानी infinite तक जा सकती है, उसके बाद आप अनंत में यदि १ जोड़ो या १०००००० जोड़ो या अनंत ही जोड़ दो , कुल जमा यानी total अनंत ही रहता है - अनंत से अधिक नहीं होता । अनंत पर ये गिनती पूरी यानी पूर्ण हो जाती है ।
On a side note
पूर्ण यानी complete sounds better than infinite (अनंत)
infinite (अनंत) is not finite - gives a feeling that infinite is a number set that we are still counting.
पूर्ण has a sense of finality, completeness. It’s much more relatable.
१+१/२+१/४+१/८+१/१६+…till infinite = २
I used to wonder how can you add an infinite series and come to a finite number. Saying that you are adding these terms this till complete sounds better to me. “Till Infinite” as a term should be replaced with “till complete”