Tuesday, April 12, 2011

ग़ालिब

मुझ से मत कह तू हमें कहता था अपनी जिंदगी
जिंदगी से भी मेरा ज़ी इन दिनों बेज़ार सा है !

उम्र भर देखा किये मरने कि राह,
मर गए पर देखिये दिखलाये क्या ?

पूछते है वो कि 'ग़ालिब' कौन है ?
कोई बतलाओ कि हम बतलाये क्या ?
- ग़ालिब

No comments: