रामु गइओ रावनु गइओ जा कउ बहु परवारु
कहु नानक थिरु कछु नही सुपने जिउ संसारु
चिंता ता की कीजीऐ, जो अनहोनी होए ॥
इहु मारगु संसार को नानक थिरु नही कोइ
- गुरु तेग बहादुर
अर्थात
राम भी नहीं रह सके, रावन को भी जाना पड़ा - चाहे जितना बड़ा परिवार था - कोई नहीं रोक सका - जो होना था वो हुआ. कुछ भी हमेशा के लिए नहीं है, ये संसार एक सपने जैसा है.
चिंता ता की कीजीऐ जो अनहोनी होइ, अर्थात
चिंता तो उस बात की करो जो की न होनी हो -
This is deep, I like it - He is not asking us to start worrying for things that are not supposed to happen, but asking us to realise that there is nothing like अनहोनी - or "not supposed to happen".
No event can have a tag that "it was not supposed to happen".
Whatever will happen, was actually supposed to happen, and hence not unhonee.
इहु मारगु संसार को नानक थिरु नही कोइ - on this road called world, Nothing is permanent. It will change.
सो इस संसार की हर बात बदलने वाली है, कुछ भी ऐसा नहीं है जिसे देख कर आप कह सके की यह तो अनहोनी थी. जो भी होगा वो तो होना ही था. और जिस बात के बारे मे आपको पता ही है की ये तो होनी है, उसकी चिंता कैसी.
Somewhere it resonates with the Geeta Saar.
or if you relate more with the man who knew too much -
Que Sera, Sera,
Whatever will be, will be.
2 comments:
My jiju,
gyaan da sagar...
proud to find u somewhere in my life...
u inspired me all the time...
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